हमारे जीवन में कई बार अचानक परेशानियां आने लगती है और बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं। वास्तु में कुछ ऐसे सरल उपाय बताए गए हैं, जिनको अपनाकर आप अपने जीवन में खुशी, समृद्धि और खुशियां ला सकते हैं।
भारी न हो ब्रह्मस्थान
वास्तु शास्त्र के अनुसार भूखंड या भवन के ठीक मध्य का भाग ब्रह्मस्थान होता है जिसके देवता ब्रह्माजी और अधिपति ग्रह गुरु अर्थात वृहस्पति हैं। पुराने समय के भवनों में खुले आँगन ज़रूर होती थी।खुला हुआ ब्रह्मस्थान (आँगन) घर के अन्य वास्तुदोषों के कुरूपों को कम करने में सक्षम होता है।आज के समय में जगह की कमी के कारण लोग ब्रह्म स्थान की अवधहलना कर रहे हैं जब कि भवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए इसकी आवश्यकता अनिवार्य है।ऐसी स्थिति में घर में खुले क्षेत्र इस प्रकार उत्तर या पूर्व की तरफ रखें जिससे सूरज का प्रकाश और हवा घरों में अधिकाधिक प्रवेश कर सके। यदि घर के मध्य क्षेत्र में किसी बड़े गड्ढे या बहुत वजनी सामान या फिर गंदगी हो तो यह शुभ संकेत नहीं है। माना जाता है कि यह स्थिति घर के मुखिया के लिए हानिकारक होती है। इसलिए घर के मध्य क्षेत्र में इन बातों का विशेष ध्यान रखें।

शुभ हो प्रवेश द्वार
वास्तु में प्रवेश द्वार को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह घर का आइना होता है, यह हमेशा साफ-सुथरा रहता है। यहाँ ज्यादा तड़क-भड़क वाली तस्वीरें नलगाकर शुभ चिन्ह चिह्न जैसे स्वास्तिक, भ, कलश, पवनघंटी, शंख, मछलियों का जोड़ा या आशीर्वाद मुद्रा में बैठे गणेश जी लगाना शुभकारक रहता है।फ्रेंच या प्लास्टिक के फूल-पत्तियों के तोरण से भी द्वार को। मकान जा सकता है।घर के दरवाजे कभी भी अनियमित आकार के या टूटे-फूटे नहीं होने चाहिए, ऐसा होने से ये परिवार की तरक्की में बाधा आने का बड़ा कारण बन सकते हैं।
मेन गेट के आगे न हो अवरोध
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार के सामने कोई बड़ा वृक्ष, गड्ढा या कोई बड़ा पिलर नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर घर के सदस्यों के बीच मन-मुटाव और ईर्ष्या की स्थिति उत्पन्न होती है। घर के सदस्यों को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।अगर ऐसा है तो घर के मेन गेट पर स्वास्तिक बनाएं और मेन गेट के दोनों तरफ तुलसी के पौधे रखने दें। ऐसा करने से घर के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करेगी।
खुशियों को भरें
वास्तु नियमों को ध्यान में रखते हुए पेंट कराने से घर में पंचतत्वों का संतुलन ठीक रहता है, खुशहाली बनी रहती है।हल्के नीला और हरे रंग को वास्तु में स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छे माने गए हैं। ये रंग का प्रयोग घर के ड्राइंग रूम में करना उचित है।पीला रंग व्यक्ति के स्नायु तंत्र को संतुलित व मस्तिष्क को सक्रिय रखता है।इसलिए इस रंग को अध्ययन कक्ष में प्रयोग करना होता है ।उत्साहवर्धक और अवसाद का नाश करने वाले बैंगनी रंग को पूजा कक्ष में किया जाने वाला शुभ होता है।गुलाबी, लाल, नारंगी रंग आपसी संबंधों को मजबूत बनाने के लिए इसलिए शयन कक्ष में इनका प्रयोग करना बेहतर होगा।इसी प्रकार रसोई में लाल रंग शुभ पैरों में वृद्धि करता है।घर के मुख्य द्वार के रंग का चुनाव दिशा के आधार पर किया जाना चाहिए, जिससे करने से सौहार्दपूर्ण वातावरण बनेगा।
ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करें
मानसिक स्पष्टता और प्रज्ञा का दिशा क्षेत्र उत्तर-पूर्व पूजा करने के लिए आदर्श स्थान है। इस दिशा में पूजाघर या अपने महादेव की तस्वीर स्थापित करें। ऐसा करने से आपको हमेशा परमात्मा का मार्गदर्शन मिलता रहता है। यह दिशा योग, प्राणायाम और ध्यान के लिए भी श्रेयस्कर है। अपने दिवंगतों की फोटो दक्षिण-पश्चिम में पाते हैं। शुभ परिणामों के लिए घर के पश्चिम क्षेत्र में आप अपने गुरु की फोटो लगाकर पूजन कर सकते हैं। पूजाघर के नीचे या ऊपर शौचालय नहीं होना चाहिए। महाभारत की पुस्तक, पशु और पक्षियों के चित्र यहां नहीं होने चाहिए। दिक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोग पूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए।