लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय (MoD) अमेरिका से 30 जनरल एटॉमिक्स MQ-9A रीपर ड्रोन खरीदने की तैयारी कर रहा है। यह लगभग 3 बिलियन डॉलर यानी 22,000 करोड़ रुपये होगा।

रक्षा मंत्रालय ने आंतरिक बैठकों के बाद छह रीपर मीडियम एल्टीट्यूड लवरग एंड्योरेंस ड्रोनों की प्राथमिक सूचना की खरीद का रास्ता साफ कर दिया है। सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए ये छह ड्रोन अमेरिका से तुरंत खरीदे जाएंगे। सेना के तीनों अंगो को वर्तमान में दो-दो ड्रोन मिलेंगे।
सेना से जुड़े सूत्रों ने आज तक को बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की आगामी बैठक से पहले 30 ड्रोनों के लिए स्वीकृति की आवश्यकता (एओएन) को प्रमुखता से रखा जाएगा। अनुबंध को दो भागों में विभाजित किया जा रहा है। लगभग 600 मिलियन डॉलर (4,400 करोड़ रुपये) के छह MQ-9s अगले कुछ महीनों में एकमुश्त पैसे देकर खरीदे जाएंगे और तीनों सेनाओं को दे देंगे। बाकी के 24 ड्रोन अनुबंध में विकल्प के तहत अगले तीन वर्षों में हासिल कर लेंगे। इनमें से तीनों सेनाओं को 8-8 ड्रोन फिर दिए जाएंगे।

यह प्रतिनिधि पिछले तीन वर्षों से पाइपलाइन में है, वर्ष 2017 में यह प्रभावी ड्रोन सिर्फ भारतीय नौसेना के रोज़ जाना था लेकिन बाद में इसमें तीनों सेनाओं के लिए खरीदने का फैसला लिया गया। सरकार ने 2018 में अमेरिका द्वारा भारत को बिक्री के लिए एमक्यू -9 के सशस्त्र संस्करण को मंजूरी दे दी थी।
रक्षा मंत्रालय द्वारा हार्डवेयर खरीद में एओएन औसत रूप से पहला कदम है। एओएन मामलों को अनुबंध में बदलने के लिए आमतौर पर कई साल लगते हैं। हालांकि ड्रोन खरीद को लेकर माना जा रहा है कि यह बेहद छोटी समय सीमा में पूरा कर लिया जाएगा। इसे अमेरिकी सरकार के साथ भारत सरकार समझौते के तहत फास्ट-ट्रैक के जरिए खरीदेगी।
छह ड्रोन अमेरिका से तुरंत के लिए जाने की तैयारी रक्षा मंत्रालय कर रहा है। अधिक अमेरिकी सशस्त्र बलों या उसके सहयोगियों ने पहले से ही ऐसे ड्रोनों का उत्पादन कर रखा है। यह स्पष्ट नहीं है कि ड्रोन के टिपरों को हेलफायर मिसाइलों और अन्य एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल से लैस किया जाएगा या नहीं।
भेजने को तय करने के लिए रक्षा मंत्रालय की बैठकों को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है, जो स्थायी समिति के चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के रूप में अंतर-सेवा रक्षा अधिग्रहण पर फैसला करता है।
रक्षा मंत्रालय भी इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए डीएसी की एक विशेष बैठक बुला सकता है। यह प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकारों के बीच हस्ताक्षरित अंतिम प्रमुख प्रतिबद्धता है। अमेरिका में इस साल नवंबर महीने में चुनाव होने हैं।